मंगलवार, जुलाई 26, 2016

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कल मेरे शहर ,
माँ से बिछुड़कर !
बादलों के बच्चे ,
आ गए मेरे घर !
सोचती हूँ , माँ
उन्हें बुलाती होगी !
रोष में जाने कहां ,
कहर बरपाती होगी !
---------------------------डॉ .प्रतिभा स्वाति
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  मेरे शहर में कल ,
    रोते रहे ,
बादलों के बच्चे !
माँ ने कहर बरपाया ,

रूह के रिश्ते
अच्छे और सच्चे !
------------------------- डॉ .प्रतिभा स्वाति
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30 जून


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