गुरुवार, जून 30, 2016
सोमवार, जून 27, 2016
शुक्रवार, जून 24, 2016
शनिवार, जून 18, 2016
ज़िंदगी के हिसाब ....
______________ कितना अजीब है जीवन मुसलसल , औसतन , पहले की बनिसबद छोटा और महंगा होता जा रहा है . प्राथमिकताएँ तेजी से बदल रही हैं . नैतिक मूल्यों का अवमूल्यन हो रहा है . जो चीज़ें कुदरतन हमें नेमत की तरहा हासिल थीं हम उन्हें खोते जा रहे हैं , मसलन हवा और पानी !
___________ रोटी -कपड़ा और मकान से काम नहीं चल रहा . सब कुछ इस कदर मशीनी हो गया है , वो दिन दूर नहीं जब हम mob और tv को अपनी बॉडी में ट्रान्स्प्लान्ट करवाना चाहेंगे ! कुल मिलाकर मतलब परस्ती के इस दौर में लाभ और लोभ के गणित ने ज़िंदगी के सारे समीकरण चौपट कर दिए हैं !
_____________________ डॉ . प्रतिभा स्वाति
मंगलवार, जून 14, 2016
सोमवार, जून 13, 2016
शुक्रवार, जून 03, 2016
साहिल पे खड़े हो .....
my e-book: तोड़ देती हूँ वो रिश्ता ....: ( पूरी कविता के लिए link )
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सुकूं दिल को मिलता नहीं ,
सम्मान दांव पर जब हो !
हाथ में मरहम दिखावा हो ,
नमक , घाव पर जब हो
______________________________ डॉ.प्रतिभा स्वाति
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गुरुवार, जून 02, 2016
बात जारी है ....
रक्षा -कवच
पैने नख़ करता
ख़ुद मरता
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ये हाइकू है ? मुझ जैसे लोग इसे हाइकू तो कहेंगे पर पसंद नहीं करेंगे ! अरे ,कोई कवि इतना हिंसक कैसे हो सकता है ? हिंसा -पसंद भी कैसे कर सकता है ? कवि तो कोमल व्यवहार और स्वभाव के लिए जाना जाता था !
____________ वीर और भयानक रस के कवि बिरले होते हैं ! भले रीतिकाल गुज़र गया ,पर भूषण के वंशज उसका .1 % लेकर अब भी जीवित हैं ,काव्य सरोवर में !लिख रहे हैं श्रंगार -प्यार -व्यापार !
_इसकी तमाम वजहें हैं , मनोविज्ञान की नज़र जिनपर है !ये बात आज जारी रहेगी _______________ देहली के वरिष्ठ पत्रकार प्रदीप पंडित आगरा आए हुए हैं , मेरी खातिर ....इस विषय पर उनकी टिप्पणी से आपको अवगत करवाउंगी !
_________________ डॉ. प्रतिभा स्वाति
पैने नख़ करता
ख़ुद मरता
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ये हाइकू है ? मुझ जैसे लोग इसे हाइकू तो कहेंगे पर पसंद नहीं करेंगे ! अरे ,कोई कवि इतना हिंसक कैसे हो सकता है ? हिंसा -पसंद भी कैसे कर सकता है ? कवि तो कोमल व्यवहार और स्वभाव के लिए जाना जाता था !
____________ वीर और भयानक रस के कवि बिरले होते हैं ! भले रीतिकाल गुज़र गया ,पर भूषण के वंशज उसका .1 % लेकर अब भी जीवित हैं ,काव्य सरोवर में !लिख रहे हैं श्रंगार -प्यार -व्यापार !
_इसकी तमाम वजहें हैं , मनोविज्ञान की नज़र जिनपर है !ये बात आज जारी रहेगी _______________ देहली के वरिष्ठ पत्रकार प्रदीप पंडित आगरा आए हुए हैं , मेरी खातिर ....इस विषय पर उनकी टिप्पणी से आपको अवगत करवाउंगी !
_________________ डॉ. प्रतिभा स्वाति
बुधवार, जून 01, 2016
राम मौन हो गए ....
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पाठक को आज सबकुछ हासिल है , बड़ी सहजता से google पर . वह फ़ेसबुक पर आता दोस्त बनाने, ...................और बन जाता है " writer " :)
यहाँ असली writer को बड़ा खतरा है . रचना चोरी होने का खतरा ! लेकिन पहुँचने के बाद वह वहां बना लेता है दोस्त
___________________ तभी blog से थककर लेखक खोजता है पाठक ! blog पर सभी writer हैं :) वे आपस में अपना दायित्व निभाते हैं , मेलजोल रखते हैं ! पर वे महज पाठक नहीं हैं !
__________ इस पूरी रामायण से थककर सीताजी ने पूछा - प्रभु ! फ़िर ' असली पाठक , लेखक, दोस्त" कौन हैं ? इसपर श्रीराम मौन हो गए !
__________________ व्यंग्य : डॉ . प्रतिभा स्वाति