शुक्रवार, मई 20, 2016

मुझे मालूम है ...मेरे फ़राइज़ क्या हैं ....

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झूठ  या सच
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दोनों से बच !
__________________ देखने  में यूँ लगता है जैसे मैं हाइकू लिखने में असमर्थ हूँ :) बीच  की लाइन जो गायब  है ! वहां के सात  वर्ण  कहाँ  हैं ? क्यूँ  मौन  पसरा  है सच और झूठ के बाद ? 
_________________ ये  बात तो वही बताए जो तीनों ही से गुजरा हो ! अर्थात  ...... यहाँ मेरा  मक़सद  सिर्फ़  ख़ुद  के आगे  ख़ुद  को ज़ाहिर  करना  होता तो मैं  सिर्फ़  ' मौन ' की  बात करती . उस  'मौन ' की जिसे  मैंने बड़ी ईमानदारी और  हिम्मत  से  जिया . एक लम्बे अरसे  का मौन . जिसे  मैनें  ख़ुद चुना  था . यदि  कोई  भी  फ़ैसला ,मज़बूरी में  लिया  जाए तब ईमानदारी  पर  प्रश्न उठाए  जा  सकते  हैं .और  जब  फ़ैसलों  पर  सवाल  उठने  लगें  तब लौटना  पड़ता  है   - पीछे  की  तरफ़ . तभी  हम  आगे  का सफ़र तय कर  सकते  हैं . यानि जो  भी योजना  हो उसपर  अमल से  पहले उसके परिणाम  के बारे में विचार  किया जाना ज़ुरूरी  है ---- " बिना  विचारे जो करे .... 
__________ तब  ? हम  विचार  क्यूँ  नहीं  करते ? कहाँ  गई  हमारी चिंतनशील   प्रवृत्ति ? हम  कैसे  ध्यान से  विमुख  हो  गए ? हम  भेड़चाल  से  कभी तो उबेंगे ! तब ?आज mob .और tv ने हमारे मुंह - कान -आँख पर  जो  कब्ज़ा  किया  हुआ है , परोक्ष रूप से अतिक्रमण   दिमाग और  दिल पर  हुआ  है ! सोच और समझ पर  हुआ  है ! इस व्यस्तता और  वाचालता  ने सुविधा  के  नाम पर मुहैया इन उपकरणों  की उपयोगिता और आविष्कार  का  मज़ाक  उड़ाया  है !
________________ आज  हम  भले आँख  मूंद  लें कबूतर  की  तरह , तो  क्या बिल्ली  झपट्टा  नहीं  मारेगी ? अरे  हम  इनसान  हैं . हमारे  पास दिमाग  है . हमें  ख़ुद का भला -बुरा  सोचना होगा . उसके  लिए  वक्त  निकलना  होगा . भीड़  से  परे ....ख़ुद के  लिए ...औरों  के लिए ....समाज  के  लिए ,देश  और  राष्ट्र  के  लिए ! हम  हमेशा  परिकथा  से दिल  नहीं  बहला  सकते ! कब तक  तितली  के  पीछे  भागेंगे ?
___________ हमारे आर्य हमें  जो दिशा दे  गए उसमें  काल  के  मद्देनज़र  ज़रासे  संशोधन  की  ,नहीं  कुछ और add किये  जाने  की दरकार है ! पहल  हमे  करनी  होगी .....हम  जो अपनेआप  को समझदार  होने  के खोल  में छुपाए  बैठे  हैं ! हम  जो सिर्फ़  शिकायत  करना  जानते हैं ! हम जो कभी ख़ुद को कुसूरवार  नहीं  मानते ! लेकिन इस  बात  से अनजान कब तक रह पाएँगे ....एक  दिन  यही बच्चे हमें कुसूरवार  कहके  कटघरे  में  खड़ा  कर  देंगे की हमने उनको  दिया  क्या  है ? समझाया  क्यूँ  नहीं ? रोका   क्यूँ  नहीं ?   बताया  क्यूँ  नहीं ? 
___________________ तब  हमारे  पास ख़ुद को बरी  करने  के कितने प्रमाण हैं ?
___________________________ डॉ . प्रतिभा स्वाति 

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