यश पिपासुओं की एक बड़ी तादाद गूगल पर ख़ोज रही है auto likers की link . चित्र उसी हवाले से है . सवाल ये है की, हम चाहते क्या हैं ? क्या सोचते हैं ? और करते क्या हैं ? आज शुरुआत है ,दूरगामी भविष्य में जब दुष्परिणाम सामने आएँगे हल तब ही खोजे जाने का रिवाज़ है . जबकि ज़ुरूरत आज है ,क्योकि देश का युवा जब इस ओर लगा ,तभी उसे सही दिशा-निर्देश की दरकार है , वरना वक्त और उर्जा की बर्बादी यूँ ही जारी रहेगी .
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