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_____________________ डॉ . नारंग के लिए कुछ भी कहते या लिखते नहीं बन रहा .... कुछ भी नहीं .मन दुःख और देश की दुर्दशा पर जब कराहता है तब कहाँ कुछ कहा जाता है ! ..................कह ही तो रहा है देश का नेता -मंत्री और मिडिया , जी कहना उनका काम है . कहना उन ही का काम है !
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जो चेहरे काले पोत दिए जाने चाहिए , जिन गर्दनों में फांसी का फंदा होना चाहिए , जिनके जिस्मों को जिन्दा जला दिया जाना चाहिए , इनकी पैदाइश या परवरिश पर भी प्रश्न हो सकता है . पर ......यदि ऐसा ना हो किसी नीति या राजनीति के तहत तब ? क्यूँ इन्हें यूँ छुपाकर रखा जाता है ? क्यूँ नहीं इन मुजरिमों के इश्तेहार इनसे पहले वहां पहुंचा दिए जाते , जहाँ से ये गुज़रते हैं , जिससे लोग सचेत हो जाएँ .......हर सज़ा इनके ज़ुर्म के आगे छोटी है.....काश वो माँ बाँझ होती ये जिनकी औलाद हैं .....बस दो ही तो जात हैं अब, एक मुज़रिम दूसरा गैर -मुज़रिम !
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_____________________ डॉ . नारंग के लिए कुछ भी कहते या लिखते नहीं बन रहा .... कुछ भी नहीं .मन दुःख और देश की दुर्दशा पर जब कराहता है तब कहाँ कुछ कहा जाता है ! ..................कह ही तो रहा है देश का नेता -मंत्री और मिडिया , जी कहना उनका काम है . कहना उन ही का काम है !
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जो चेहरे काले पोत दिए जाने चाहिए , जिन गर्दनों में फांसी का फंदा होना चाहिए , जिनके जिस्मों को जिन्दा जला दिया जाना चाहिए , इनकी पैदाइश या परवरिश पर भी प्रश्न हो सकता है . पर ......यदि ऐसा ना हो किसी नीति या राजनीति के तहत तब ? क्यूँ इन्हें यूँ छुपाकर रखा जाता है ? क्यूँ नहीं इन मुजरिमों के इश्तेहार इनसे पहले वहां पहुंचा दिए जाते , जहाँ से ये गुज़रते हैं , जिससे लोग सचेत हो जाएँ .......हर सज़ा इनके ज़ुर्म के आगे छोटी है.....काश वो माँ बाँझ होती ये जिनकी औलाद हैं .....बस दो ही तो जात हैं अब, एक मुज़रिम दूसरा गैर -मुज़रिम !