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शनिवार, जून 06, 2015
ख़्वाब.....
____________________________________________________ ख़्वाब आते हैं , रह - रह कर , देते हैं हक़ीकत को बहाने कुछ ! देखके चमक मुस्तकबिल तेरी, मेरा माज़ी लगा मुस्कुराने कुछ ! ________________________ डॉ. प्रतिभा स्वाति
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