गुरुवार, फ़रवरी 12, 2015

जीवन ....परीक्षा है :)

_____________________ सवाल कोई नया नहीं , क्यूंकि जवाब सबके पास हैं :) सभी न सिर्फ़ जानते अपितु जीते भी हैं ! फ़िर भी .......कोई कहता है वरदान है , कोई इसे वरदान नहीं मानता ! कोई मिथ्या कहता है तो कोई खेल ....कोई तमाशा ! कोई ख़ुद को कठपुतली कहता है तो कोई ......बहरहाल जैसा भी है जीवन तो है ही :)
___________ न सिर्फ़ इन्सान पशु - पक्षी और वनस्पति में भी जीवन है ! जल और थल पर जीवन है , अनेक रूपों में ! मेरा मक़सद जीवन को परिभाषित करना तो बिलकुल ही नहीं ! आज / अभी अचानक मुझे ये लगा की जीवन एक परीक्षा ( भी / ही ) है :)
_____________ सचमुच परीक्षा जिसे ३३% लेकर जिया जा सकता है ( तृतीय श्रेणी में ) और 45 % लेकर मुस्कुराया जा सकता है , 50 % लेकर आत्मविश्वास पैदा किया जा सकता है और 60 % लेकर मान किया जा सकता है :) जब हम दूसरों के लिए ज़ुरूरी हो जाएँ तब विशेष योग्यता ( 75 % ) हासिल कर लिए समझो :)
______________ लेकिन जब पूर्णांक 100 हों / तब 33 % से कम आना अपनी काबलियत पर नाक़ाबिल होने का लेबल लगाना है ! व्यक्ति की हताशा / रुग्णता और उसका पिछड़ापन प्रमाण बन जाता है ! ऐसे में जो टॉप पर है उसके दायित्व बढ़ जाते हैं !
_____________ ज़ुरूरत है / आत्म - मुल्यांकन की !और दिशा तय किये जाने की ! हम अपेक्षा का कटोरा लिए हैं या हमारी मुट्ठी में दायित्व के खनकते सिक्के हैं ?
_________________________  हमारी कोशिश 100 में से 100 लाने की रहनी चाहिए / हमेशा :)
____________________ डॉ. प्रतिभा स्वाति


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