इस blog पर google से साभार animation लिए गए हैं अपने पाठकों की पसंद के मद्देनज़र , fb और g + के frnds को जोड़े रखने की कोशिश है / ये blog :)
बुधवार, मई 28, 2014
साँझ..
मुझको तो .... दिखती उदास ! तू ,कहता ......साँझ सिंदूरी है ! सूरज के संग ........... डूब गई ! क्या उसकी ......... मज़बूरी है ? -------------------------------------- डॉ . प्रतिभा स्वाति
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें