सोमवार, अप्रैल 21, 2014

दीवाना

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कहता  रहा .....  रात भर ,
घूमकर  गली  में दीवाना !
आसमां पर / जाने कितने ,
उधार  हैं ......उसके उसपे  !

तोड़ लेता है........ कुछ  
सितारे यूँ  ही ... लेकिन 
चाँद ...वापिस नहीँ  माँगा
कभी भी ...उससे  उसने !

सितारे.... सजाते हैं महफ़िल 
चाँद....आसमां  का दिल !
कौन...... देता - लेता  हैं ?
दिल ... ज़माना सारा संगदिल ! 

--------------------------------------- डॉ. प्रतिभा स्वाति 
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