गुरुवार, अप्रैल 17, 2014

फ़रेब देने वाले ...


  फरेब..........देने  वाले !
खामियां गिनते  रहे ! 
भूले  से / कसीदा  कब ?
किसकी  शान  में कहा ?

मुकर जाती है / जुबां कैसे ?
अपने ही कहे लफ़्जों  से !
इबारत को दिलासा  देके ,
लिखे  हुए पैगाम ने कहा !
----------------------------------- डॉ. प्रतिभा स्वाति
  

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें