सोमवार, अप्रैल 14, 2014

भ्रम /1


भ्रम / भरमाते  हैं !
कभी / हरिण  को ,
मरीचिका  बनकर !
  कभी / या अक्सर ? 
उसे /मारीच बनकर !

हम  सबके भीतर ,
एक हरिण जिन्दा है !
जानता है यथार्थ ,
खुदसे / शर्मिंदा है !
-------------------------------- जारी
------------------------------------- डॉ. प्रतिभा स्वाति



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