गुरुवार, मार्च 06, 2014

खयाल


तंग ही  तो हूँ मैं ,
ज़िन्दगी से आख़िर !

खौफ़ मौत के आकर ,
सता  नहीं  मुझको !

आते और  जाते  रहे,
खयाल हंस-हंस  कर!
नहीं कहा  मुझसे कि,
यूँ,हटा नही मुझको !
------------------------------- डॉ . प्रतिभा स्वाति 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें