दिल में धधके दावानल !
और शिराओं में खौले रक्त !
एक देश और नब्ज़ एक है ,
पलटे कितने ताज़-ओ-तख्त !
-------------------------- --- डॉ . प्रतिभा स्वाति
एक देश और नब्ज़ एक है ,
पलटे कितने ताज़-ओ-तख्त !
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------------------------------ ------------------------------ -जागे भारत / भाग 2
जब गीतों से ओज टपकता हो !
लोरी तक के भाव निराले हों !
गजलों के सब माशूक जहाँ पे ,
सिर धुन /सिज़दा करने वाले हों !
--------- जारी --------
------------------------------ ------------- डॉ .प्रतिभा स्वाति
जब गीतों से ओज टपकता हो !
लोरी तक के भाव निराले हों !
गजलों के सब माशूक जहाँ पे ,
सिर धुन /सिज़दा करने वाले हों !
--------- जारी --------
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