शुक्रवार, सितंबर 20, 2013
शनिवार, सितंबर 14, 2013
ज़मी ने कहा
ज़मी ने कहा
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पहले ज़मी थमके ,
मेरी राह तकती थी !
मैं लौट आती थी ,
उसी जगा !
.पर अब ,
सतत ,ज़ारी है ,
सफ़र मेरा !
मुझे लौटना नहीं !
चूमकर भाल मेरा ,
उसदिन कहा उसने ,
-महफूज़ हो सदा
अब /आजकल ,
तुमपर!!
आसमां निगाह रखता है !!
--------------------------------------------- डॉ. प्रतिभा स्वाति
मेरी राह तकती थी !
मैं लौट आती थी ,
उसी जगा !
.पर अब ,
सतत ,ज़ारी है ,
सफ़र मेरा !
मुझे लौटना नहीं !
चूमकर भाल मेरा ,
उसदिन कहा उसने ,
-महफूज़ हो सदा
अब /आजकल ,
तुमपर!!
आसमां निगाह रखता है !!
--------------------------------------------- डॉ. प्रतिभा स्वाति
शुक्रवार, सितंबर 13, 2013
डर ...
--------- हालाकि ये ' टंका ' है . मुझे मालूम है पर ....
जाने क्यूँ एक सवाल अक्सर सर उठाता है , हम डरते कब से हैं ? किससे हैं ? और आख़िर क्यूँ ?
क्या इसीलिए बचपन की हर कहानी , एक था राजा से शुरू होती थी ? क्या इसीलिए आ जाती थी परियां / राजकुमार / फूल /खुशबू /चाँद /तारे ?
जाने क्यूँ एक सवाल अक्सर सर उठाता है , हम डरते कब से हैं ? किससे हैं ? और आख़िर क्यूँ ?
क्या इसीलिए बचपन की हर कहानी , एक था राजा से शुरू होती थी ? क्या इसीलिए आ जाती थी परियां / राजकुमार / फूल /खुशबू /चाँद /तारे ?
जारी -------
------------------------ डॉ . प्रतिभा स्वाति
गुरुवार, सितंबर 12, 2013
आज इतना ही ...
ओह , जब भी कोई खयाल परिपक्व नहीं होता. उसे ज़ाहिर करने में बड़ा जोखिम है. वो बिखरता है --------- जैसे सुरभित पवन में पुष्पों के परागकण . उपवन को तब क्या हासिल होता है ? बस , उस पुष्प -गुच्छ की परवरिश का श्रेय और सम्मान ही या कुछ और भी ?
आख़िर मै पूछ किससे रही हूँ ? ख़ुद ही से ? तो फिर मै जवाब क्यूँ नहीं देती ख़ुद को ?
जवाब जब तैयार हों , तब उन्हें देने की जल्दी क्यूँ ? उन्हें एक योजना के तहत / स्थिति के अनुकूल होने पर , उचित अवसर मिले तब ज़ाहिर किया जाना ठीक है -------- एक खुबसूरत शक्ल में :)
वो शक्ल गीत की हो / या कहानी की . क्या इससे फर्क पड़ता है ? इससे क्या फ़र्क पड़ता है ?
------------------------------- डॉ . प्रतिभा स्वाति
आख़िर मै पूछ किससे रही हूँ ? ख़ुद ही से ? तो फिर मै जवाब क्यूँ नहीं देती ख़ुद को ?
जवाब जब तैयार हों , तब उन्हें देने की जल्दी क्यूँ ? उन्हें एक योजना के तहत / स्थिति के अनुकूल होने पर , उचित अवसर मिले तब ज़ाहिर किया जाना ठीक है -------- एक खुबसूरत शक्ल में :)
वो शक्ल गीत की हो / या कहानी की . क्या इससे फर्क पड़ता है ? इससे क्या फ़र्क पड़ता है ?
------------------------------- डॉ . प्रतिभा स्वाति
लेखन
यूँ आज भी मुझे याद नहीं , मेरी पहली कहानी कौन-सी थी . पर सच कहूँ , तो क्या फर्क पड़ता है ? यदि याद आ भी जाए . मेरे कहने से क्या होगा ? ज़माने में हर बात को ज़ाहिर करना काफ़ी नहीं होता . उसकी पुष्टि के लिये प्रमाण
प्रस्तुत करने होते हैं .
तब फिर अनिवार्य क्या है ? लिखना या लिखने का प्रमाण ?जल्दी ही इस post को edit करुँगी/ तब अपने कुछ प्रकाशित कविता -कहानी - लेख / यहाँ चस्पा कर दूंगी :)
----------------- डॉ . प्रतिभा स्वाति
प्रस्तुत करने होते हैं .
तब फिर अनिवार्य क्या है ? लिखना या लिखने का प्रमाण ?जल्दी ही इस post को edit करुँगी/ तब अपने कुछ प्रकाशित कविता -कहानी - लेख / यहाँ चस्पा कर दूंगी :)
----------------- डॉ . प्रतिभा स्वाति
सोमवार, सितंबर 09, 2013
रविवार, सितंबर 08, 2013
शुक्रवार, सितंबर 06, 2013
गुरुवार, सितंबर 05, 2013
कुछ शीर्षक /animation
चूँकि मै कहानियाँ लिखती आई हूँ , ये उन्ही की भूमिका समझिये . जो कुछ प्रकाशित हो चुका
शीघ्र ही वो भी ब्लॉग पर होगा .
अभी कुछ शीर्षक जो enimation पर बनाए हैं , lptp फोर्मटिंग के दौरान खो न जाएँ , उन्हें
सहेज रही हूँ .
यूँ भी मेरे fb frnds बस क्लिक करना ही जानते हैं . 10 % भी अभी नहीं आ पाए g + पर .
-----------------------------thnx / डॉ. प्रतिभा स्वाति