बुधवार, दिसंबर 07, 2016

देवदूत द्वार पर .....


 मृत्यु शाश्वत  सत्य है ....
किसलिए  विलाप  हो ?
पापमय हो जीवन अगर....
 फ़िर क्यूँ न पश्चाताप हो ?
_____________ डॉ .प्रतिभा स्वाति

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